महात्मा गांधी से ज्यादा स्वीकार्य हो चुके हैं नरेंद्र मोदी!

Narendra Modi vs Mahatma Gandhi-नरेंद्र मोदी, जो वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री हैं, उनकी तुलना अक्सर महात्मा गांधी से की जाती है, लेकिन क्या वे सचमुच गांधी के उत्तराधिकारी बन सकते हैं? यह सवाल भारतीय राजनीति में एक दिलचस्प विमर्श का विषय बन चुका है। महात्मा गांधी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और देश के सामाजिक-आर्थिक उत्थान से जुड़ा हुआ है, जबकि मोदी का राजनीतिक सफर और उनकी नीतियां बहुत भिन्न हैं। आइए इस विषय पर गहराई से चर्चा करते हैं।

नरेंद्र मोदी का उभार

नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भारतीय राजनीति में एक मजबूत पहचान बनाई है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से उन्होंने कई बड़े सुधार किए हैं जैसे नोटबंदी, GST और मेक इन इंडिया अभियान। मोदी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनका सरल जीवन और राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके साथ ही, उन्होंने गरीबों और पिछड़े वर्गों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की, जिनमें आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रमुख हैं।

महात्मा गांधी के दृष्टिकोण से तुलना

महात्मा गांधी का जीवन सत्य, अहिंसा और समाज के शोषित वर्गों के लिए था। उन्होंने भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र करने के लिए एक अहिंसक संघर्ष चलाया। गांधी का दृष्टिकोण समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान और सामूहिक कल्याण पर केंद्रित था, जबकि नरेंद्र मोदी की नीतियां अधिकतर आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं। हालांकि, मोदी ने गांधी के विचारों को अपने सार्वजनिक जीवन में सम्मिलित किया है, खासकर स्वच्छता अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) में, जो गांधी के स्वच्छता के विचार से प्रेरित है।

क्या मोदी गांधी के रास्ते पर हैं?

कुछ आलोचक यह तर्क देते हैं कि मोदी की नीतियां एकलव्य की तरह व्यापक वर्गों की जरूरतों को नजरअंदाज करती हैं और वे गांधी के समान समावेशी दृष्टिकोण से परे हैं। मोदी की सरकार के दौरान धार्मिक मुद्दों को लेकर जो विवाद हुए हैं, उन्हें गांधी के तात्कालिक अहिंसा के सिद्धांत से मेल नहीं खाता। वहीं, मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास पर जोर दिया है, जिसे गांधी के समय के संघर्षों से अलग माना जा सकता है।

क्या मोदी की राजनीति में गांधी का प्रभाव हो सकता है?

कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नरेंद्र मोदी का शासन गांधी के समान “लोकप्रिय नेता” के रूप में उभर सकता है, लेकिन उनकी नीति गांधी के आदर्शों से बहुत अलग है। मोदी ने भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाने का सपना देखा है, वहीं गांधी का उद्देश्य था एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज की स्थापना। क्या नरेंद्र मोदी उन प्रभावों को समाहित कर पाएंगे जो गांधी ने देश में छोड़े थे, यह सवाल आने वाले समय में और भी स्पष्ट होगा।

निष्कर्ष

तो क्या नरेंद्र मोदी अगले गांधी बन सकते हैं? यह सवाल बहुत जटिल है, क्योंकि गांधी का प्रभाव एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन के रूप में था, जबकि मोदी एक आधुनिक राजनीतिक नेता हैं, जिनका दृष्टिकोण अधिक व्यावहारिक और विकास-केंद्रित है। हालांकि, मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई क्षेत्रों में सुधार किए हैं, लेकिन गांधी के समग्र दृष्टिकोण से उनकी नीतियां बहुत भिन्न हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मोदी भविष्य में गांधी के मानवतावादी दृष्टिकोण को अपने कार्यों में और गहराई से समाहित कर पाते हैं या नहीं।

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