VARANASI NEWS-वाराणसी स्थित उदय प्रताप कॉलेज (UDAY PRATAP COLLEGE), जिसे यूपी कॉलेज (UP COLLEGE) भी कहा जाता है, काशी की शिक्षा परंपरा का प्रतीक है। 115 साल पुराने इस कॉलेज की स्थापना राजर्षि उदय प्रताप सिंह ने 100 एकड़ भूमि दान कर और आर्थिक सहयोग प्रदान कर की थी। इसका उद्देश्य प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए एक संस्थान खड़ा करना था। आज यह कॉलेज 7,000 से अधिक छात्रों का शैक्षिक केंद्र है। राजर्षि का सपना था कि काशी की प्राचीन शिक्षा परंपरा को संरक्षित रखा जाए, और यूपी कॉलेज उसी का साकार रूप है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा और विवाद–SUNNI WAQF BOARD CLAIM
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार हाल ही में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यूपी कॉलेज प्रशासन को नोटिस जारी कर 100 एकड़ भूमि को अपनी संपत्ति घोषित किया। बोर्ड ने दावा किया कि इस भूमि पर एक दरगाह और मस्जिद स्थित है, जिसे उनकी संपत्ति माना जाना चाहिए। यह दावा तब विवाद का विषय बना, जब पता चला कि जिस स्थान पर अब दरगाह और मस्जिद बनाई गई हैं, वह पहले एक कुत्ते की दफनाने की जगह थी। स्थानीय प्रबंधन और पुराने कर्मचारियों के अनुसार, यह दावा पूरी तरह से बेबुनियाद है।
योगी सरकार का समर्थन और मुद्दे की गहराई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में उदय प्रताप कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा देने की घोषणा की थी। यह कदम कॉलेज के महत्व और ऐतिहासिक भूमिका को और बढ़ाएगा। इसे देखते हुए, सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित माना जा रहा है। बोर्ड का दावा है कि भूमि उनके पीर बाबा की दरगाह की है, लेकिन कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। कॉलेज प्रशासन ने मस्जिद और दरगाह की बिजली कटवाई, लेकिन इसके बाद अवैध तरीके से कटिया डालकर बिजली चोरी की गई।
संपत्ति विवाद: राजनीतिक और कानूनी असर
यह मामला केवल संपत्ति विवाद नहीं है, बल्कि धार्मिक और राजनीतिक विवाद का विषय बन चुका है। योगी सरकार के इस कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने की योजना ने इसे और महत्वपूर्ण बना दिया है। यूपी कॉलेज के छात्र, शिक्षक और स्थानीय लोग कॉलेज की संपत्ति को संरक्षित रखने के लिए आवाज उठा रहे हैं।