ATUL SUBHASH STORY-अतुल सुभाष की दर्दनाक कहानी: दहेज के झूठे केसों में प्रताड़ित होते भारत के अनेकों परिवारों का आइना

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ATUL SUBHASH NEWS-बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष (ATUL SUBHASH) ने अपनी आत्महत्या से पहले अपने पिता से डेढ़ घंटे बात की। यह बातचीत एक सामान्य हालचाल पूछने जैसी थी, जिसमें उन्होंने अपनी परेशानियों का कोई जिक्र नहीं किया। पिता ने जब उनकी स्थिति जाननी चाही, तो उन्होंने कहा कि सबकुछ ठीक है। किसी को अंदाजा नहीं था कि तीन घंटे बाद वह इतना बड़ा कदम उठा लेंगे। छोटे भाई विकास ने बताया कि “अतुल ने अपने आखिरी शब्दों में हमसे कहा कि हमेशा खुश रहना। यह उनकी अंतिम विदाई थी।”

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सुसाइड नोट में छलका दर्द: “मेरी मेहनत का पैसा मेरे दुश्मनों को मजबूत कर रहा है”

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में उस दर्द को बयां किया, जो उन्होंने अपनी पत्नी (NIKITA SINGHANIA) और उसके परिवार द्वारा उत्पीड़न के कारण सहा। उन्होंने लिखा, “मेरी पत्नी और उसके परिवार वाले मुझे मेरे बेटे से नहीं मिलने देते। वे मुझसे सिर्फ पैसे मांगते हैं। मैं जितना मेहनत करता हूं, उतना ही मुझे परेशान किया जाता है।” उनके शब्दों में छिपा दर्द हर उस व्यक्ति को झकझोर देता है, जो जीवन में न्याय और परिवार के महत्व को समझता है।

सास की बातें: क्रूरता की हदें पार

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में अपनी सास निशा सिंघानिया (NISHA SINGHANIA) के शब्दों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनकी सास ने उन्हें आत्महत्या करने के लिए उकसाया। जब अतुल ने कहा कि उनकी मौत से उन्हें पैसे कैसे मिलेंगे, तो उनकी सास ने जवाब दिया, “तुम्हारे पिता देंगे। तुम्हारे बाद तुम्हारे माता-पिता भी मर जाएंगे।” इस तरह के बयान किसी भी व्यक्ति के आत्मसम्मान को तोड़ने के लिए काफी हैं।

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एलन मस्क और ट्रंप से भारत के लिए गुहार

अतुल ने अपने आखिरी शब्दों में एक वैश्विक अपील की। उन्होंने सोशल मीडिया पर एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप को टैग करते हुए भारत में पुरुषों के “कानूनी नरसंहार” का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, “जब तक आप इसे पढ़ेंगे, मैं मर चुका होऊंगा। भारत में जागरूक विचारधारा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहाल करने की आवश्यकता है।” उनकी यह अपील इस बात का प्रमाण है कि वह अपने दर्द को केवल व्यक्तिगत रूप से नहीं, बल्कि समाज के लिए भी महसूस कर रहे थे।

यह कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज के उन हर हिस्सों का आईना है, जहां रिश्ते, न्याय और समानता की नई परिभाषा की जरूरत है।

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