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President Trump News-डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अगले कार्यकाल के लिए व्यापारिक नीतियों की झलक पेश की है। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद, वह एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आयातित सभी उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। इसके अलावा, चीन से आयात पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा, जब तक कि चीन सिंथेटिक ओपिओइड फेंटानिल की तस्करी को रोकने के ठोस कदम नहीं उठाता। ट्रंप ने इस कदम को अमेरिकी विनिर्माण नौकरियों को वापस लाने और व्यापार वार्ताओं में मजबूती के रूप में प्रस्तुत किया है।
ट्रंप ने आरोप लगाया कि चीन ने फेंटानिल जैसे खतरनाक नशीले पदार्थों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया था, लेकिन वे अपने वादों पर खरे नहीं उतरे। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका में नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मेक्सिको से अवैध प्रवास और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए यह टैरिफ तब तक लागू रहेगा जब तक समस्या का समाधान नहीं होता।
भारत को तत्काल राहत, लेकिन व्यापार तनाव संभव– INDIA EXCLUDES FROM LIST NOW
TRUMP ON INDIA TARIFF-ट्रंप की इस घोषणा में भारत को फिलहाल राहत मिली है क्योंकि वह प्रारंभिक टैरिफ सूची में शामिल नहीं है। हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भारत को “बहुत बड़ा व्यापार शोषक” करार दिया था। इससे संकेत मिलता है कि भारत के साथ व्यापार तनाव फिर से उभर सकता है। ट्रंप प्रशासन पहले भी भारत के 75 अरब डॉलर के निर्यात पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे चुका है।
2019 में, भारत ने Generalised System of Preferences (GSP) कार्यक्रम के तहत ड्यूटी-फ्री एक्सेस खो दिया था। इस कार्यक्रम के तहत भारत 5.7 अरब डॉलर के उत्पाद अमेरिकी बाजार में टैरिफ-फ्री निर्यात करता था। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप की नीतियां चीन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, लेकिन भारत के लिए लाभ सीमित होंगे।
भारत पर संभावित प्रभाव
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ प्लान से “चाइना-प्लस-वन” रणनीति को गति मिल सकती है, लेकिन व्यापार अवरोधों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। इसका असर भारतीय मध्यम वर्ग की खपत और संभावित ब्याज दर कटौती पर पड़ सकता है। Bernstein Research के मुताबिक, भारत पर नीतिगत दबाव बन सकता है, जिससे उसे फिर से ऊंचे टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट है कि अमेरिका की व्यापार नीतियां उनके नेतृत्व में सख्त रहेंगी, जो भारत सहित अन्य देशों के लिए नए अवसर और चुनौतियां लेकर आएंगी।