“One Nation One Election” बिल: सरकार की नई पहल पर गरमाया माहौल

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल/pic credit-Sansad TV

One Nation One Election Bill-NDA सरकार ने लोकसभा में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” बिल पेश किया है, जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह बिल पेश करते हुए इसे संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप बताया और इसके खिलाफ उठाए गए विरोधों को राजनीतिक प्रेरित करार दिया।

बिल के प्रमुख प्रावधान:

  • समानांतर चुनाव:
    यह बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव देता है, ताकि बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके और प्रशासनिक व्यवधान कम हो।
  • संवैधानिक संशोधन:
    इसके तहत संविधान में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल एक जैसा बनाया जा सके।

समर्थन और विरोध:

  • समर्थन:
    भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि समानांतर चुनाव से प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी और बार-बार चुनावों से होने वाले व्यवधान को रोका जा सकेगा। उनका मानना है कि इससे नीतियों के क्रियान्वयन में निरंतरता और सुशासन को बढ़ावा मिलेगा।
  • विरोध:
    कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम जैसी विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया है। इनका मानना है कि यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है और क्षेत्रीय मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे के तले दबा सकता है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया।

अगले कदम:

गृह मंत्री अमित शाह ने सुझाव दिया कि इस बिल को व्यापक समीक्षा और विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाए। यह कदम दर्शाता है कि सरकार विभिन्न हितधारकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान करने और सहमति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):

  1. “एक राष्ट्र, एक चुनाव” बिल क्या है?
  • यह एक प्रस्तावित कानून है, जो भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की बात करता है।
  1. सरकार इस बिल का समर्थन क्यों कर रही है?
  • सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी, नीतियों के क्रियान्वयन में रुकावटें कम होंगी और सुशासन बेहतर होगा।
  1. विपक्ष को इस बिल से क्या आपत्ति है?
  • विपक्ष का तर्क है कि यह बिल भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है, क्षेत्रीय मुद्दों को दबा सकता है और केंद्र सरकार के पक्ष में सत्ता का केंद्रीकरण कर सकता है।
  1. क्या भारत में पहले कभी समानांतर चुनाव हुए हैं?
  • हां, 1967 तक भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। यह चक्र कुछ राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के समय से पहले भंग होने के कारण बाधित हो गया।
  1. इस बिल के अगले कदम क्या हैं?
  • इस बिल की विस्तृत जांच और सिफारिशों के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे आगे की संसदीय प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” बिल भारत की चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। इसकी प्रगति इस पर निर्भर करेगी कि संसद में होने वाली बहसें, समितियों की समीक्षा और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सहमति कैसे बनती है।

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