Samir Dey Passes Away-भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री समीर डे का सोमवार को कटक के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। 67 वर्षीय समीर डे को 1 नवंबर को उनकी सेहत बिगड़ने पर कटक के सीडीए क्षेत्र स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के अनुसार, वह निमोनिया सहित कई अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। उन्हें आईसीयू में रखा गया था और उनकी स्थिति गंभीर थी। डॉक्टर संपद दास ने बताया, “उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था, फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचा था और मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा।”
राजनीतिक करियर: शिक्षा और शहरी विकास मंत्री के रूप में निभाई अहम भूमिका–Cuttack City
समीर डे ने 2000 से 2009 के बीच ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की कैबिनेट में शहरी विकास और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कटक शहर से तीन बार, 1995, 2000 और 2004 में ओडिशा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। कटक को आधुनिक शहर बनाने के उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। उनके कार्यकाल के दौरान कटक में दो से तीन विश्वविद्यालय स्थापित हुए और उच्च शिक्षा में सुधार के लिए उनके प्रयास सराहनीय रहे।
नेताओं और जनता ने जताया शोक
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहान मांझी ने समीर डे के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “उनके निधन से हमें बड़ी क्षति हुई है। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।” ओडिशा की डिप्टी सीएम प्रवती परिदा ने कहा, “राम जन्मभूमि आंदोलन से सक्रिय रहने वाले समीर डे ने कटक और आसपास के क्षेत्रों में जनता से गहरा जुड़ाव स्थापित किया। उनके निधन से भाजपा और ओडिशा दोनों को बड़ा नुकसान हुआ है।”
सभी दलों ने की समीर डे की प्रशंसा
बीजेडी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी सोशल मीडिया पर अपने शोक संदेश में लिखा, “समीर डे ने जनता के कल्याण और विकास के लिए जो कार्य किए, वे हमेशा याद किए जाएंगे।” कटक के सांसद भरतहरी महताब ने कहा, “उन्होंने कटक के विकास के लिए अपना जीवन समर्पित किया।” भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वह पार्टी के मजबूत स्तंभों में से एक थे। कटक के मेयर सुभाष सिंह ने भी उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद उन्होंने शहर के विकास के लिए समर्पण से काम किया।
समीर डे का निधन न केवल भाजपा के लिए, बल्कि पूरे ओडिशा के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके विचार, नेतृत्व और जनता के प्रति समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा।