जिले में डीएपी खाद और बीज की कमी का संकट बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को कहिंजरी (Kahinjhari) और उसरी (Usari) समितियों पर खाद आने की सूचना मिलते ही सैकड़ों किसान वहां इकट्ठा हो गए। घंटों लाइन में लगने के बाद भी कई किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा। रसूलाबाद (Rasulabad) में गेहूं के बीज की लगातार कमी है, जबकि कृषि विभाग इस कमी को लक्ष्य की अनुपलब्धता का कारण बताकर मामले से पल्ला झाड़ रहा है। डीएपी खाद के लिए किसान थक-हारकर कई समितियों के चक्कर लगा रहे हैं, जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ रही हैं।
प्राइवेट दुकानों पर महंगे दाम और कालाबाजारी का बोलबाला
डीएपी की कमी के चलते प्राइवेट बाजार में इसके दाम 1700 रुपये तक पहुंच गए हैं। कुछ प्राइवेट दुकानदार बीज के साथ डीएपी खाद देने की शर्त पर इसे बेच रहे हैं, जिससे किसानों को भारी खर्च करना पड़ रहा है। वहीं, उसरी समिति पर किसानों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा, और बढ़ते विवाद के चलते वहां वितरण भी बंद कर दिया गया। इस स्थिति ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
समितियों में खाद की अनियमित आपूर्ति से किसान नाराज
शिवली (Shivli) और मैथा (Maitha) क्षेत्रों में सहकारी समितियों पर डीएपी खाद की भारी किल्लत है। रैपालपुर और नुनारी बहादुरपुर की सहकारी समितियों में खाद तो उपलब्ध है, लेकिन किसानों का आरोप है कि वहां केवल कुछ विशेष लोगों को ही गुपचुप तरीके से खाद दी जा रही है। बाकी किसानों को घंटों इंतजार के बाद एक या दो बोरी खाद देकर निराश लौटा दिया जा रहा है। इस स्थिति ने लाही, सरसों, मटर और गेहूं की फसल के सीजन में किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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