Uttar Pradesh ByPolls 2024 : 2027 के विधानसभा चुनाव का मिलेगा मिजाज

UP Bypolls 2024-उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले का वार्म अप कहे जा रहे नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। वोटिंग बुधवार सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगी। इन नौ सीटों में अंबेडकरनगर की कटेहरी (Katehari), मैनपुरी की करहल, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर की सीसामऊ (Sisamau), अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल हैं। इनमें से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इरफान सोलंकी (Irfan Solanki) को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद खाली हुई है।

इन उपचुनावों में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं। गाजियाबाद में सबसे अधिक 14 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जबकि खैर और सीसामऊ सीटों पर सबसे कम 5-5 प्रत्याशी हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीटें सपा के पास थीं, जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीटों पर जीत दर्ज की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास थी, जो अब भाजपा की सहयोगी पार्टी है।

सपा-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर, कांग्रेस और बसपा का अलग रास्ता

सपा इन उपचुनावों के माध्यम से सदन में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी, जबकि भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद अपनी पकड़ और बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं। कांग्रेस ने इन उपचुनावों में हिस्सा न लेने का फैसला किया है और इंडिया गठबंधन की सहयोगी सपा को समर्थन दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सभी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। वहीं, चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने सीसामऊ को छोड़कर अन्य सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मतदाताओं से सपा के पक्ष में वोट देने की अपील करते हुए संविधान की रक्षा के लिए प्रशासन से निष्पक्षता बरतने की उम्मीद जताई। दूसरी ओर, भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने सपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सपा हार से घबराकर चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही है। शुक्ला ने सपा पर फर्जी मतदान कराने का भी आरोप लगाया।

विधानसभा पर असर और राजनीतिक महत्व

403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा पर इन उपचुनावों का कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन इसके नतीजे राजनीतिक दलों के लिए एक संदेश जरूर देंगे। वर्तमान में भाजपा के पास 251 विधायक हैं, जबकि सपा के पास 105 विधायक हैं। भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के पास 13 विधायक, रालोद के पास 8 विधायक, सुभासपा के पास 6 और निषाद पार्टी के पास 5 विधायक हैं। कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के 2-2 विधायक हैं, जबकि बसपा का एकमात्र विधायक है।

इन उपचुनावों के नतीजे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा और सपा दोनों के लिए यह उपचुनाव एक शक्ति प्रदर्शन का अवसर है। वहीं, बसपा और अन्य क्षेत्रीय दलों के लिए यह अपनी पकड़ साबित करने का समय है।

भविष्य की राजनीति का संकेत देंगे नतीजे

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनावों के नतीजे यह बताएंगे कि जनता पर भाजपा की पकड़ अभी भी मजबूत है या विपक्ष अपनी स्थिति सुधारने में कामयाब हो रहा है। रालोद प्रवक्ता अंकुर सक्सेना ने अपनी पार्टी की मीरापुर सीट पर जीत का दावा किया है और कहा कि एनडीए गठबंधन सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगा। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने भाजपा की जीत की संभावना जताते हुए कहा कि प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनावों में अपना रुझान पहले ही स्पष्ट कर दिया है।

उपचुनाव के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने में मददगार साबित हो सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे समर्थन देती है और यह नतीजे किस दल की ताकत को बढ़ाते हैं।

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