AYODHYA– 5 दिसंबर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (YOGI ADITYNATH) ने 43वें रामायण मेला (RAMAYAN MELA) का शुभारंभ करते हुए समाज को एकता का संदेश दिया और विभाजनकारी तत्वों के षड्यंत्रों के खिलाफ आगाह किया। रामकथा पार्क (RAMKATHA PARK) में आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम ने ऐतिहासिक संदर्भों और मौजूदा हालात पर प्रकाश डालते हुए प्रभु श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या, संभल और बांग्लादेश में हो रहे कृत्य समान मानसिकता और उद्देश्य को दर्शाते हैं।
विभाजनकारी तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री (CM YOGI) ने अपने संबोधन में कहा कि विभाजनकारी ताकतें समाज को तोड़ने और उसे कमजोर करने के प्रयास में जुटी हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 500 साल पहले बाबर के सेनापति ने अयोध्या और संभल में जो किया, वही आज बांग्लादेश में हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये तत्व न केवल सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर रहे हैं, बल्कि देश में अराजकता फैलाने की साजिश भी रच रहे हैं। उन्होंने चेताया कि ऐसे लोग, जिनकी विदेशों में संपत्तियां हैं, संकट आने पर वहां भाग जाएंगे, जबकि आम जनता को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अयोध्या: विश्व मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत
मुख्यमंत्री ने अयोध्या (AYODHYA) को विश्व मानवता का मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि यह भूमि हमेशा से शांति और समाधान का केंद्र रही है। उन्होंने कहा, “अयोध्या कभी राग-द्वेष से प्रेरित नहीं हुई। यहां कोई युद्ध करने का दुस्साहस नहीं कर सकता। प्रभु श्रीराम के आदर्शों ने इसे हमेशा से सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाया है।” उन्होंने रामायण मेला को अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम बताया।
रामायण के आदर्श और सामाजिक एकता
सीएम योगी ने अपने भाषण में भगवान राम के आदर्शों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “श्रीराम ने समाज को जोड़ने का काम किया। अगर हमने जोड़ने को महत्व दिया होता और सामाजिक विद्वेष को दूर किया होता, तो देश कभी गुलाम नहीं होता।” उन्होंने बताया कि रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला और सामाजिक एकता का पाठ है। रामायण के आदर्शों को आत्मसात करना आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
श्रीराम और भारत की सनातन श्रद्धा
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रभु श्रीराम के प्रति भारत की श्रद्धा को समझने के लिए गांव-गांव में आयोजित रामलीलाओं और 1990 के दशक में प्रसारित रामायण धारावाहिक को देखना चाहिए। उन्होंने कहा, “श्रीराम हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। जिनके मन में श्रीराम और मां जानकी के प्रति श्रद्धा नहीं, उन्हें समाज से अलग कर देना चाहिए।” उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के दौरान लगाए गए नारों का उल्लेख करते हुए कहा, “जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं।”
लोहिया के विचार और आज की प्रासंगिकता
सीएम योगी ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की एकता और अखंडता की जड़ें श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान शिव की आस्था में निहित हैं। उन्होंने कहा, “लोहिया जी ने कहा था कि जब तक भारत की जनता इन आराध्यों के प्रति श्रद्धा रखेगी, तब तक इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता।” योगी ने बताया कि इन आराध्यों ने भारत की संस्कृति को समृद्ध और सुदृढ़ किया है।
समाज में व्याप्त विषमता और रामायण का समाधान
मुख्यमंत्री ने वर्तमान सामाजिक स्थितियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज जाति और धर्म के नाम पर समाज को विभाजित करने की कोशिशें हो रही हैं। उन्होंने कहा, “एक-एक फुट जमीन के लिए लोग आपस में झगड़ रहे हैं। परिवारों में कलह बढ़ रही है। ऐसे में हमें रामायण के आदर्शों को अपनाना होगा।” उन्होंने श्रीराम और निषादराज की मैत्री का उदाहरण देते हुए समाज को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
सरकार के प्रयास और अयोध्या का गौरव
मुख्यमंत्री ने अयोध्या के विकास के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हम अयोध्या को उसका पुरातन गौरव लौटाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या न केवल आध्यात्मिक केंद्र बनेगी, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक नगरी के रूप में अपनी पहचान बनाएगी।” उन्होंने रामायण पर शोध की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सरकार इस दिशा में सभी संभव मदद करेगी।
रामायण मेला का ऐतिहासिक महत्व
मुख्यमंत्री ने 1982 में शुरू हुए रामायण मेला की ऐतिहासिकता और इसके सांस्कृतिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रामायण मेला न केवल रामकथा को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का एक बड़ा प्रयास है। उन्होंने आयोजकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “कुछ नया लेकर आइए, सरकार हमेशा आपके साथ है।”
श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि श्रीराम के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर काम करें, तो न केवल हमारा जीवन सफल होगा, बल्कि हम ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में भी योगदान दे सकेंगे।”
उपस्थित गणमान्य और सांस्कृतिक उत्सव
इस अवसर पर मणिराम दास छावनी के महंत कमलनयन दास, जगद्गुरु स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य, पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, विधायक वेदप्रकाश गुप्ता, और आयोजन समिति के अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे। आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रामायण के विभिन्न प्रसंगों का जीवंत प्रदर्शन भी किया गया।